मां पार्वती के लिए बनी थी सोने की लंका"
हम सभी जानते हैं कि रावण की एक सोने की लंका थी जिसे हनुमान ने अपनी पूंछ में आग लगाकर जला दिया था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह लंका शिवजी के आदेश पर मां पार्वती के लिए बनाई गयी थी।
जाने इसके पीछे की कथा:
एक बार शिव शक्ति से मिलने भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी आए, लेकिन कैलाश पर ठण्ड ज्यादा होने की वजह से लक्ष्मी जी उस ठण्ड से ठिठुरने लगीं। उन्होंने पार्वती से व्यंग में कहा की आप खुद राजकुमारी होते हुए इस तरह का जीवन कैसे व्यतीत कर सकती हैं। जाते जाते उन्होंने पार्वती जी और शिवजी को बैकुण्ठ आने का न्योता भी दिया।
कुछ दिनों बाद आमंत्रण पर शिव-पार्वती के साथ बैकुण्ठ धाम पहुंचे। पार्वती जी उनके वैभव को देखकर चकित हो गईं। अब उनकी लालसा बढ़ गई की उनका भी एक वैभवशाली महल हो। कैलाश पहुंचने पर मां पार्वती शिवजी से हठ करने लगीं कि उनके लिए भी एक भव्य महल का निर्माण कराया जाए।
तब भगवान शंकर ने विश्वकर्मा को एक भव्य स्वर्ण महल बनाने का कार्य दिया। विश्वकर्मा ने आदेश अनुसार लंका का स्वर्ण महल बनाया जो उस समय सबसे भव्य था। पार्वती के निवेदन पर सभी देवी देवताओं और महान ऋषियों को उस जगह आमंत्रित किया गया।
विश्रवा नामक महर्षि ने उस नगर की वास्तु प्रतिष्ठा की और दान के रूप में यह महल ही शिवजी से मांग लिया। भोलेनाथ ने वो नगरी उन्हें दान में दे दी। अपने सपनों के महल को दान में जाता देख मां पार्वती को क्रोध आ गया और उन्होंने विश्रवा को श्राप दे दिया कि एक दिन यह नगरी आग की लपटों में भस्म हो जाएगी।
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